सभी धर्मपरायण लोगो को मेरा सादर नमन..
सनातन धर्म भारतीय संस्कृति के आधारभूत जीवन मूल्यों सत्य, दया, ममता, करुणा, प्रेम, परोपकार, त्याग, शांति पर आधारित है। भारतीय संस्कृति के संवाहक मर्यादा पुरषोतम श्री राम है। जिन्होने वचनो से नहीं, अपने आचरण से उपरोक्त मानवीय मूल्यों की स्थापना की क्योकि सामान्य जीवन में मनुष्य का आचरण ही महत्वपूर्ण है। भक्ति की जो धारा आदि गुरु शंकराचार्य जी ने भारतीय जनमानस में प्रवाहित की, उसी धारा को वर्तमान में स्वामी ज्ञानानन्द जी ने गीताज्ञान में सेवा, सत्संग व सुमिरन के माध्यम से भारतीय जनमानस में प्रवाहित कर रहे है। मेरा भी यह मानना है कि गीता के कर्म, भक्ति और योग के माध्यम से सम्पूर्ण विश्व में सच्ची मानवता स्थापित की जा सकती है।
मेरे भावों को देखते हुए पूर्व प्रधान श्री रामनारायण मिगलानी जी ने पाँच वर्ष तक सैकेटरी पद का कार्यभार सौंपा। यथाशक्ति कर्तव्य निर्वहण की लग्न देखकर गीतामनिषी स्वामी श्री ज्ञाननानन्द जी और श्री मिगलानी जी के आशीर्वाद व उनके मार्गदर्शन के साथ मै अपनी आखिरी श्वास तक समाज व राष्ट के प्रति अपनी जिमेदारी को निभाऊँ यही श्री हरि के चरणों में प्रार्थना करता हूँ।
सुनील चावला
प्रधान
श्री सनातन धर्म सभा, करनाल।