मंदिर में मनाये जाने वाले उत्सव

मंदिर में मनाए जाने वाले मुख़्य उत्सव

सनातन धर्म मंदिर में सभी उत्सव हर्षोउल्लास के साथ मनाए जाते है। विशेष आकर्षण का केंद्र जन्माष्टमी, रामनवमी और शिवरात्रि का भव्य आयोजन है।

1. जन्माष्टमी
भाद्र मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को जन्माष्टमी का त्योहार मंदिर में पूरी आस्था व उल्लास के साथ मनाया जाता है। श्री कृष्ण भगवान युगों-युगों से हमारी आस्था का केँद्र है। इस उत्सव पर मंदिर को ख़ास तौर पर सजाया जाता है। और भगवन श्री कृष्ण के जीवन से सम्बंधित झाँकियों का प्रदर्शन किया जाता है।
. भगवन श्री कृष्ण के लड्डू गोपाल रूप को झूले में झूलाया जाता है।
. मैया यशोदा और नटखट कान्हा की शरारतों से भरी झाँकियाँ       प्रदर्शित की जाती है।
. इस उत्सव पर रास-लीला का आयोजन भी किया जाता है।

2. रामनवमी
रामनवमी हिंदु धर्म का मुख्य त्यौहार है। भगवान राम का जन्म दिन चैत्र शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को मनाया जाता है। इस उत्सव पर एक सप्ताह रामकथा का वाचन मंदिर हॉल में आयोजित किया जाता है। हवन के बाद मंदिर में प्रसाद लंगर सेवा का वितरण किया जाता है। सभी श्रद्धालु गद-गद होकर अपने घरों को प्रस्थान करते है।

3. शिवरात्रि
शिवरात्रि के अवसर पर श्रद्धालु ओं की भीड़ पंचमुखी चाँदी से जड़ित शिवलिंग के दर्शनार्थ उमड़ पड़ती है। मंदिर का प्रांगण खचा -खच भरा रहता है। चाँदी के शिवलिंग की स्थापना घर व समाज में धन – धान्य से संपन बनाता है। लोग बढ़ी श्रद्धा से एक ही पत्थर से निर्मित चाँदी जड़ित शिवलिंग का पंचामृत से अभिषेक करते है।

4. गुरु पूर्णिमा / व्यासपूर्णिमा
गुरुर्ब्रह्मा ग्रुरुर्विष्णुः गुरुर्देवो महेश्वरः । गुरुः साक्षात् परं ब्रह्म तस्मै श्री गुरवे नमः ॥

गुरु पूर्णिमा हिन्दू कैलेंडर के मुताबिक आषाढ़ शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा के दिन जन्मोत्सव पर श्री सनातन धर्म सभा के द्वारा महा मंडलेश्वर गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद महाराज के सानिध्य में श्रद्धा व स्नेह सिक्त ह्रदय से मनाया जाता है। श्रद्धालु ओं के दवारा स्वामी ज्ञानानंद जी महाराज के
चरण धोकर, फूल अर्पित करके, तिलक लगाकर, पूजा – अर्चना की जाती है। भोजन करवाकर, दक्षिणा देकर गुरु जी के पैर छूकर आशीर्वाद लिया जाता है। गुरु जी पूर्ण भाव से श्रद्धालु ओं की झोली अपने आशीर्वाद से भर देते है।

5. लोहड़ी
लोहड़ी का त्यौहार पौष माह की अंतिम सबसे लम्बी रात 13 जनवरी को सनातन धर्म मंदिर में बहुत उत्साह व हर्षोउल्लास के साथ मनाया जाता है। मंदिर के मुख़्य द्वार पर लकड़ियाँ एकत्र कर अग्नि प्रज्जवलित कर रेवड़ी व मुंगफली का भोग लगा कर परिक्रमा कर अपने और अपनों के लिए दुआए माँगी जाती है। रेवड़ी व मुंगफली का प्रसाद दिया जाता है।

6. मकरसक्रांति
इस दिन सूर्ये एक राशि से दूसरी राशि मकर राशि में प्रवेश करता है। सोलर कैलेंडर का अनुसरण करने के कारण यही एक मात्र त्यौहार है जो हर वर्ष 14 जनवरी को सनातन धर्म मंदिर व् अन्य सभी स्थानों पर पूरी श्रद्धा व् उल्लास के साथ मनाया जाता है। संक्रांति की सुबह हवन का आयोजन होता है और सैंकड़ों की संख्या में श्रद्धालु हवन में शामिल होते हैं। हलवे के प्रसाद के वितरण के साथ ही आयोजन की समाप्ति होती है।

7. कार्तिक मास का विशेष आयोजन
कार्तिक मास हिन्दु पंचांग का आठवां महीना है। यह शरद पूर्णिमा से शुरू हो कर कार्तिक पूर्णिमा तक चलता है। श्री सनातन धर्म मंदिर में कार्तिक मास पूरे महीने प्रातः हवन यज्ञ होता है। मंदिर सभा द्वारा इस महीने के लिए विशेष तौर पर हवन कुंडों का निर्माण पारम्परिक तरिके से गाय के गोबर का मिट्टी के साथ मिला क्र लीपा जाता है। भगवान विष्णु इस महीने में अपनी चार महीने की निंद्रा के बाद उठते हैं। जिसके बाद सभी मांगलिक कार्य शुरू हो जाते हैं। इस महीने मैं पूजा, पाठ, उपवास, हवन का बहुत महत्व है। सनातन मंदिर मेंरोज डेढ़ घंटे का हवन आयोजित होता है। इस हवन में हर रोज चार जोड़े पति-पत्त्नी यजमान के तौर पर हवन में बैठते हैं। शहर के समस्त श्रद्धालु भी हवन में शामिल होते हैं। महीने के आखरी दिन सात हवन कुंडों पर अठ्ठाईस यजमानों के रूप में बैठते हैं। शहर के श्रद्धालुओं का हूजूम इस दिन उमड़ पड़ता है। मन्त्रोच्चारण के साथ हवन शुरू हो जाता है। देखते ही देखते एक दिव्य आलौकिक वातावरण मंदिर का ही नहीं पुरे शहर का हो जाता है। विशाल आरती के बाद प्रसाद वितरित किया जाता है और दोपहर में विशाल भण्डारे का आयोजन किया जाता है। श्री सनातन धर्म मंदिर में कार्तिक मास में आने वाली सभी त्योहारों को बड़े हर्षोल्लास से मनाया जाता है। करवा चौथ कृष्ण पक्ष चतुर्थी की कथा के लिए मंदिर में विशेष प्रबंद रहता है। शहर की सुहागिने यहाँ बड़ी श्रद्धा से व्रत के पूजन की कथा करती हैं।

8. दिवाली
दिवाली पर माँ लक्ष्मी के साथ-साथ सनातन धर्म मंदिर में घी के दीपक जला कर व् फूलों की लड़ियों व् बिजली की लाइट की झालर से सारा मंदिर अपने भव्य सवरूप में भगवान श्री राम के अयोध्या लौटने के इस विजय पर्व को पूरी श्रद्धा व् उल्लास से मनाता है।

9. गोवर्धन पूजा
दीवाली के दूसरे दिन सनातन धर्म मंदिर में पूरी श्रद्धा से गोवर्धन बना कर उसकी पूजा – अर्चना की जाती है। और मंदिर में कढ़ी – चावल व हलवे का अन्नकूट तैयार किया जाता है। जिसे श्रद्धालु प्रसाद रूप में ग्रहण करते है। लक्ष्मी का व्रत करने वाली औरतें इसी अन्नकूट का प्रसाद ग्रहण कर अपने व्रत को पूर्ण करती है।

10. बसंतपंचमी / सरस्वती पूजा
बसंतपंचमी का उत्सव माघ महीने की पंचमी तिथि को सनातन धरम मंदिर में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। बसंतपंचमी के दिन ही देवी सरस्वती का जन्म हुआ था।
मंदिर में देवी सरस्वती की पूजा

ॐ श्री सरस्वती शुक्लवर्णां सस्मितां सुमनोहराम्।।
कोटिचंद्रप्रभामुष्टपुष्टश्रीयुक्तविग्रहाम्।
वह्निशुद्धां शुकाधानां वीणापुस्तकमधारिणीम्।।
रत्नसारेन्द्रनिर्माणनवभूषणभूषिताम्।
सुपूजितां सुरगणैब्रह्मविष्णुशिवादिभि:।।वन्दे भक्तया वन्दिता च

इस मन्त्र का उच्चारण करते हुए बड़े हर्षोउल्लास से देवी की मूर्ति स्थापित करके फूल व फल अर्पित करते हुए पूजा – अर्चना की जाती है। विधार्थी अपनी पुस्तके माँ सरस्वती के पास रख कर ज्ञान की देवी की उपासना करते है। ताकि इनके स्वर्णिम भविष्य के लिए माँ का आशीर्वाद मिल सके।
दूसरे दिन हवन पूजन कर खीर का भी भोग लगा कर , सभी श्रृंगार की वस्तुएँ माँ को अर्पित कर,बड़े हर्षोउल्लास से माँ को यमुना घाट पर विदा किया जाता है और फल व खीर का प्रसाद श्रद्धालु ओं को वितरित किया जाता है।