मंदिर का इतिहास

 

स्वतंत्रता की चिर प्रतीक्षित ख़ुशी देश के विभाजन का कालकूट अपने आँचल में समेटे आई तो पाकिस्तान से विस्थापित हिन्दुओ का एक हुजूम भारत में आया।  उनमे से कुछ सहदय परिवारों ने करनाल शहर में शरण ली।  अपनी मेहनत व लगन के बल पर खुद को कामयाब बनाया।  श्री गणेश दास चावला जी, श्री पिशोरी लाल मारवाह जी,   श्री गंगा राम बत्रा जी, श्री ख़ुशी राम मेहंदीरत्ता जी, श्री ख़ुशी राम जावा जी, श्री संत लाल चावला जी, श्री मूल चंद माटा जी, श्री टेक चंद सहगल जी, श्री रामजी दास विज जी इन सभी मेहनतकश हस्तियों ने जाने माने व्यापारियों की श्रेणी में खुद का नाम दर्ज करवाया।

इन श्रद्धावान व सह्दय लोगो ने सनातन  संस्कृति को दानवीर राजा करण  की इस पावन धरा पर स्थापित करने की ठानी। कुछ गणमान्य सदस्यों श्री गिरधारी लाल चावला जी, श्री ज्ञानचंद गिरधर जी, श्री भगवान दास गिरधर जी, श्री शिवदयाल मुटरेजा जी, श्री ज्ञानचंद चावला जी, श्री रामजीदास बत्रा जी, श्री सोमनाथ खेड़ा जी, जो कामयाबी के शिखर पर थे।   श्री ख़ुशी राम मेहंदीरत्ता जी के साथ मिलकर सभी सदस्यों ने अपनी श्रद्धानुसार मंदिर की ज़मीन व निर्माण हेतु दान दिया।  इस प्रकार उस इकक्ठा हुई राशि से पूज्य धरा खरीदी गई। और श्री ख़ुशी राम जावा जी ने खुद ट्रैक्टर चलाकर इस धर्मभूमि को मंदिर निर्माण के लिए तैयार किया। श्रद्धानत, कर्मठ श्रद्धालुओं के दृढ़निश्चय व सामूहिक प्रयास से देखते ही देखते मंदिर का निर्माण हुआ।   जहाँ चाह वहाँ राह की युक्ति इस सामूहिक प्रयास के सामने चरितार्थ होती प्रतीत हुई। पहली बार सन 1954 में सनातन संस्कृति को योजनाबद्ध तरीके से कार्यान्यवित करने के लिए सभा का गठन किया गया।   सनातन धर्म की आधारशिला रखने वाली यह सभा श्री सनातन धर्म सभा के नाम से रजिस्टरड हुई l

सभा के प्रथम प्रधान के तोर पर दृढ़निश्चयी, कर्मशील, जुझारू व्यक्तितव के धनी श्री ख़ुशी राम मेहंदीरत्ता ने कार्यभार संभाला।   संतवृंद जगतगुरु शंकराचार्य व संत शिरोमणि त्यागमूर्ति, गीतामनिषी स्वामी  श्री ज्ञानानन्द   जी महाराज की कृपास्वरुप मंदिर का प्रांगण श्रद्धालुओं से सुशोभित होता रहा और सनातन धर्म की यह महक चारो तरफ फैलने लगी l जिसके फलस्वरूप चाँदी से जड़ित पंचमुखी शिवलिंग इस मंदिर की वैभवशाली गरिमा को पूरे भारत में चिन्हित करता है l वर्तमान में भी सिंदूरी हनुमान मंदिर का निर्माण मंदिर की उन्नति को प्रदर्शित करता है।   यही नहीं प्रबन्धन कमेटी के कुशल नेतृत्व में सन 1990 में एक प्राइमरी स्कूल की नीव रखी l इन सबके अथक प्रयास से आज एस. डी आदर्श पब्लिक स्कूल प्रतिष्ठित सेकेंडरी स्कूलों की श्रेणी में आता है।